Saturday 8 September 2012

नई शर्ट

आज मैने नई शर्ट पहनी, आइनें में खुद को निहारा, चल पड़ा अपने काम पर, रास्तें लगा कि इसे उतार कर फेंक दूं, हिम्मत नहीं कर पाया, शायद लोगों की प्रतिकिरया के डर से/ तय नहीं कर पाया एेसा क्यों नहीं कर पाया/ पर मुझे झकझोर जरूर गया था यह वाकया/ सामने एक छोटा किशोर था/ जिसके बदन पर चिथड़े थे या कपड़े/ यह कहना मुशकिल है/ हम दोनों में एक समानता भी यही थी/ दोनों ने कपड़े अपने लिए नहीं पहने थे/ उसे लोगों की प्रतिकिरया की चिंता थी/ और मुझे भी लोगों की ही चिंता थी/ मैंने अनिच्छा से नई शर्ट पहनी और/ उसने अपनी इच्छा से पहनी थी

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